बौनापन / Dwarfism - कारण, लक्षण और उपचार dwarfism reaction

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Genetic या वैद्यकीय कारणों से औसत से कम लम्बाई होने की स्तिथि को बौनापन या Dwarfism कहा जाता हैं। अक्सर समाज में बौने व्यक्ति का मजाक उड़ाया जाता है और उन्हें उपेक्षित किया जाता हैं। गर्भावस्था और बचपन में ही जरा सी सावधानी बरतने पर इससे बचा जा सकता हैं। कद का छोटा होना और बौना होना, दोनों में अंतर हैं। जब किसी प्रौढ़ व्यक्ति की लम्बाई 20 वर्ष के आयु के पश्च्यात भी 147 cms या 4 फुट 8 इंच से कम होती है तब उसे बौना कहा जाता हैं। हर बौने व्यक्ति के शरीर के लक्षण एक दूसरे से भिन्न होते हैं।

बौनेपन का कारण, प्रकार, लक्षण और उपचार से जुडी जानकारी निचे दी गयी हैं।






बौनेपन के प्रकार Types of Dwarfism in Hindi

बौनेपन के मुख्य 2 प्रकार हैं।

असंगत बौनापन / Disproportionate Dwarfism : असंगत बौने व्यक्ति के शरीर के सभी भागों की लम्बाई असंगत / disproportionate होती हैं। किसी के हाथ लम्बे होते है और पैर छोटे होते है या फिर पैर बड़े होते है और हाथ छोटे होते हैं। संगत बौने व्यक्ति के शरीर में सभी अंग समान छोटे होते हैं। बौने व्यक्ति का मस्तिष्क अग्रभाग काफी उभरा होता हैं। चेहरे की बनावट सामान्य से भिन्न होती हैं। जिस बीमारी के कारण बौनापन पाया जाता हैं उस बीमारी के लक्षण भी शरीर पर पाए जाते हैं।
संगत बौनापन / Proportionate Dwarfism : संगत बौने व्यक्ति में प्रजनन क्षमता और मानसिक विकास भी कम होता हैं। हड्डियां कमजोर और लचीली होती हैं। रीढ़ की हड्डी की बनावट असामान्य और छोटी होने के कारण स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव पड़ता है जिससे हाथ और पैर कमजोर होते हैं।

शरीर के विभिन्न अंगों की लम्बाई और बनावट के आधार पर बौनेपन का वर्गीकरण निम्न प्रकार में किया जाता हैं :

रोजोमेलिक : इस तरह के बौने व्यक्तिओं में बाजु और जांघ बहुत छोटे होते हैं। बाकि शरीर सामान्य होता हैं।
मिजोमेलिक : इस तरह के बौने व्यक्तिओं में बाजु के अग्रभाग और पैरों की लम्बाई सामान्य से बहुत कम होती हैं। बाकि शरीर सामान्य होता हैं।
अक्रोमेलिक : इस तरह के बौने व्यक्तिओं में पैर और हाथ दोनों ही छोटे होते हैं और शरीर की लम्बाई सामान्य होती हैं।
मैक्रोमेलीक : इस तरह के बौने व्यक्तिओं में हाथ और पैर की लम्बाई सामान्य से बेहद कम होती हैं।

बौनेपन का कारण और निदान
Causes and Diagnosis of Dwarfism in Hindi

बच्चो से जुडी 200 से 250 तरह की बिमारियों में से कोई एक बौनेपन का कारण होती हैं। लेकिन इनमे 70% मामलों में पियूष ग्रंथि (Pitutary Gland) से निकलने वाले वृद्धिकारक (Growth) हॉर्मोन की कमी यह मुख्य कारण होता हैं। इसके स्त्राव के कमी का मुख्य कारण पियूष ग्रंथि की बीमारी या आनुवंशिकता होता हैं। Gene में जन्मजात खराबी भी एक अहम कारण हैं।

प्रारंभिक अवस्था में बौनेपन की पहचान बाल्यावस्था में बच्चे के विकास की गति और लक्षणों से की जा सकती हैं। जब बच्चे की लम्बाई उम्र के अनुसार न होकर बहुत ही धीमी गति से होता हैं तब उनमे बौनेपन के लक्षण दिखाई देता हैं। बच्चे में बौनेपन की पहचान करने के लिए ग्रोथ हॉर्मोन की रक्त जांच की जाती हैं। अगर इस हॉर्मोन की कमी पायी जाती है तो इसका उपचार किया जाता हैं। अगर ग्रोथ हॉर्मोन की मात्रा सामान्य है तो बच्चे में वंशानुगत जांच FGFR-3 Gene की जांच की जाती हैं। इसमें किसी प्रकार की त्रुटि आने पर बच्चों में कम उम्र में ही बौनेपन बीमारी का निदान किया जाता हैं।

यदि बच्चे की लम्बाई कम हैं और सभी जांच सामान्य है तो उसे बौनापन नहीं कहकर छोटे कद का व्यक्ति कहा जाता हैं जो एक सामान्य व्यक्ति की तरह जिंदगी जी सकता हैं।

बौनेपन का उपचार
Treatment of Dwarfism in Hindi

बौनेपन के 70% मामलों में पियूष ग्रंथि (Pitutary Gland) से निकलने वाले वृद्धिकारक (Growth) हॉर्मोन की कमी यह कारण होता हैं। चिकित्सक के देखरेख में इस हॉर्मोन के इंजेक्शन समय-समय पर देकर खून में इसके स्तर को सामान्य रखकर बच्चे का प्रारंभिक अवस्था में उपचार संभव हैं।

ग्रोथ हॉर्मोन के साथ थाइरोइड हॉर्मोन का नियंत्रण में होना भी बेहद जरुरी होता हैं। थाइरोइड हॉर्मोन की जांच कर आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त मात्रा में यह दिया जाता हैं।

बौनेपन से पीड़ित व्यक्तिओ को समाज में एक अलग नजरिए से देखा जाता हैं। उन्हें उपेक्षित और मजाकिया अंदाज में लिया जाता हैं। इन्हे वैवाहिक जीवन, सरकारी नौकरी व खेलकूद प्रतियोगिता में भी उचित स्थान नहीं दिया जाता हैं। इन सभी कारणों से बौने व्यक्ति तनाव और हीनभावना के शिकार होते हैं। समाज को समझना चाहिए की बौनेपन जीवन का अभिशाप नहीं है बल्कि की शरीर के वृद्धि की एक विकृति हैं। बौनेपन से पीड़ित व्यक्तिओं को समाज में हीनभावना से न देखकर इन्हे समाज में आदर व सम्मान के साथ जीने का अधिकार मिलना चाहिए। यह स्वास्थ्य जानकारी न्यूरोलॉजिस्ट डॉ संजय लेले ने ईमेल द्वारा हमारे साथ share की हैं।

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